आजाद भारत में उपेक्षित श्मशान घाट
सनातन हिन्दू धर्म में सोलह संस्कार माने गए है जिसमे मनुष्य जीवन के अंतिम पड़ाव अर्थात अंतिम संस्कार सोलहवे संस्कार का विशेष महत्व है। मनुष्य जहाँ पर आकर निश्चित्त मृत्यु को प्राम होता है जो कि शाश्वत् सत्य है इस सत्य से कोई भी अछुत्ता नहीं है। आज हमारा देश सर्वगुण संपन्न एवं विकसित देशो की गिनती में है परन्तु आजादी के ७५ वर्ष उपरांत भी देश में अंतिम संस्कार स्थलो पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। शहरो एवं नगरो में तो शासन अथवा जन सहयोग से निर्मित है किन्तु भारत शहरो नगरो तक सीमित नहीं नहीं है अपितु गाँवों और जंगल पहाड़ो में भी बसता है वहां भी जनजीवन निवास करता है। कभी आपने सोचा है उनके बारे में जहां अंतिम स्थल श्मशान घाट जहां अंतिम संस्कार करना एक जंग जीतने के समान है। श्मशान घाट तक पहुंचने के लिए रास्ते नहीं है। श्मशान घाट पहुंच मार्ग अत्यंत कच्छा एवं प्रकाशहीन होकर श्मशान में पेयजल प्रकाश व श्मशानपति देवादिदेव महादेव की मूर्ति / शिवलिंग का अभाव है।
आदरणीय हमारा संस्थान इस क्षेत्र में विगत १० वर्षों से कार्यरत है। हमारे संस्थान द्वारा इस हेतु एक जमीनी सर्वे रिपोर्ट तैयार की है जिसमे आज के समय में जो श्मशान स्थित है बह मृत के समान दिखाई दे रहे है।
राष्ट्र के पंचायत स्वास्थ मंत्री जी एवं प्रधानमंत्री जी तक संवाद स्थापित करने वाली संस्था को ज्ञात हुआ कि इन संस्थाओ की सुध लेने के लिए कोई कोष तक नहीं है। इस दशा में हमारी रजिस्टर्ड संस्था श्मशान भूमि शोध संस्थान उज्जैन ने देश के श्मशान घाटों का जीर्णोधार करने चबूतरे बाउंड्रीवाल संग्रहण कक्ष एवं मंदिर बनाने व यहाँ पर मूलभूत सुविधाए उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाते हुए अपने पुनीत उद्देश्य हेतु आयकर अधिनियम की धारा ८० जी के तहत दान राशी पर आयकर विभाग से छूट भी प्राप्त कर ली है। आपका दान अत्यंत उपयोगी है ।